बिहार में जमीन सर्वे शुरू जानें किस जमीन पर आपका हक |
पटना: बिहार में चल रहे राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सर्वेक्षण कार्य के बाद राज्य में जमीनों की नई पहचान और वर्गीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है। अधिकारियों के अनुसार, सर्वे के पूरा होने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-सी ज़मीन रैयती, गैर-मजरुआ, पुश्तैनी, या सरकारी है।

जमीन की प्रकृति तय होने से न केवल जमीन विवादों में कमी आएगी, बल्कि खरीद-बिक्री से जुड़े मामलों में भी पारदर्शिता आएगी।
राज्य सरकार के मुताबिक, जमीन को कुल 6 मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है। हर प्रकार की जमीन की अपनी एक अलग कानूनी स्थिति और उपयोग की शर्तें हैं। सर्वे पूरा होने के बाद सभी ज़मीनों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा। इससे न सिर्फ भू-मालिकों को अपने हक की ज़मीन स्पष्ट रूप से मिलेगी, बल्कि अवैध कब्जों पर भी रोक लगेगी।
1. गैर-मजरुआ आम: सरकारी जमीन
इस श्रेणी की जमीन सरकारी होती है लेकिन इसका नियंत्रण ग्राम पंचायत के पास होता है। यह ज़मीन सार्वजनिक उपयोग – जैसे सड़क, मैदान, पोखर आदि – के लिए आरक्षित रहती है। इसे न बेचा जा सकता है और न ही किसी को लीज़ पर दिया जा सकता है।
2. गैर-मजरुआ खास: सरकार के सीधे अधीन
गैर-मजरुआ खास ज़मीन का स्वामित्व राज्य सरकार के पास होता है। इस पर किसी भी तरह के निजी निर्माण या स्वामित्व का दावा नहीं किया जा सकता। इसे भी लीज़ पर देने की इजाजत नहीं है।
3. खासमहल जमीन: लीज़ पर दी जा सकती है
खासमहल वह सरकारी भूमि होती है जिसे किसी कार्य विशेष के लिए लीज पर दिया जा सकता है। इस जमीन पर व्यवसाय, दुकान या मकान निर्माण की अनुमति मिल सकती है, लेकिन इसके लिए लीज का करार ज़रूरी होता है। आमतौर पर यह लीज सीमित अवधि के लिए होती है और सरकार की शर्तों पर निर्भर करती है।
4. केसरे हिंद: केंद्र सरकार की जमीन
केसरे हिंद जमीन केंद्र सरकार के नियंत्रण में होती है और आम नागरिक या राज्य सरकार का इस पर कोई दावा नहीं होता। आमतौर पर इसका उपयोग रेलवे, सेना, हवाई अड्डे जैसे कार्यों के लिए होता है।
5. रैयती भूमि: बिक्री योग्य निजी जमीन
रैयती जमीन निजी स्वामित्व की भूमि होती है। यही वह जमीन है जिसे कानूनी रूप से खरीदा-बेचा जा सकता है। किसानों की खेती, रिहायशी मकान या व्यवसाय के लिए यही जमीन सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
6. पुश्तैनी जमीन: खानदानी संपत्ति
पुश्तैनी ज़मीन भी रैयती जमीन की तरह होती है, लेकिन इसका स्वामित्व पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार में चलता है। इस पर भी वैध रूप से कब्ज़ा और बिक्री संभव है, बशर्ते ज़मीन का रिकॉर्ड साफ हो।