भारत के उपराष्ट्रपति बने सीपी राधाकृष्णन, NDA में जश्न; जानिए कितने वोटों से जीते
देश के 15वें उपराष्ट्रपति के नाम पर आज यानी मंगलवार को मुहर लग गई. एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को भारी बहुमत के साथ अगला उपराष्ट्रपति चुना गया है.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी में कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन सांसदों द्वारा मतदान संपन्न होने के बाद जब नतीजे सामने आए तो सीपी राधाकृष्णन को सबसे अधिक सांसदों का समर्थन प्राप्त हुआ. उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव मंगलवार सुबह शुरू हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वोट डाला. वोटिंग की शुरुआत से ही एनडीए का ही पलड़ा भारी नजर आया. किसी भी चूक से बचने के लिए एनडीए गठबंधन द्वारा ‘मैन टू मैन मार्किंग’ की रणनीति बनाई है.
उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग चली 7 घंटे तक
7 घंटे लगातार मतदान चलने के बाद शाम 6 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई. एक तरफ जहां विपक्ष अपने उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी के जीतने की उम्मीद थी, लेकिन एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को ज्यादा वोट प्राप्त हुए, जिसके बाद उन्हें देश का अगला उपराष्ट्रपति चुना गया. आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति के लिए बहुमत का आवश्यक आंकड़ा 391 वोट का है. 452 वोटों के साथ ये आंकड़ा छूने वाले सीपी राधाकृष्णन जल्द ही उपराष्ट्रपति पद की शपथ ले सकते हैं. मंगलवार को संसद भवन में पक्ष-विपक्ष के सभी सांसद मौजूद रहे. उन्होंने अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दिया.
कब रखे राजनीति में कदम?
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ. बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन में सक्रियता दिखाई. वे आरएसएस के स्वयंसेवक रहे और 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए. यह उनके राजनीतिक करियर की ठोस शुरुआत थी. 1996 में उन्हें तमिलनाडु भाजपा का सचिव बनाया गया. इसके बाद 1998 में वे पहली बार कोयंबटूर से सांसद बने और 1999 में दोबारा चुने गए.
RSS के स्वयंसेवक से उपराष्ट्रपति तक का सफर
आपको बता दें कि 31 जुलाई 2024 को जब सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली, तो यह उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक यात्रा का नया अध्याय था. इससे पहले वे झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं और साथ ही उन्होंने कुछ समय के लिए तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला. चार दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में राधाकृष्णन ने संगठन, संसद और प्रशासन हर स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है.
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