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बीसीसीआई की सेंट्रल कांट्रैक्ट लिस्ट जारी इशान-श्रेयस बाहर; राहुल, गिल और सिराज को ग्रेड-ए में

इशान-श्रेयस बाहर; राहुल, गिल और सिराज को ग्रेड-ए

 

घरेलू क्रिकेट में न खेलने को लेकर हुए विवाद का इशान किशन और श्रेयस अय्यर को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है। BCCI ने बुधवार को सेंट्रल कांट्रैक्ट की नई लिस्ट जारी की, जिसमें दोनों खिलाड़ियों को बाहर कर दिया गया। वहीं, हाल में उम्दा प्रदर्शन करने वाले केएल राहुल, शुभमन गिल व मोहम्मद सिराज को ग्रेड-ए में ट्रांसफर कर दिया है। जबकि रिषभ पंत (जो एक सड़क दुर्घटना के कारण पूरे सीजन में उपलब्ध नहीं रह सके) अब ग्रेड बी में हैं।

अक्षर पटेल, जिनके पास पिछले सीजन में ग्रेड-ए कांट्रैक्ट था, उन्हें ग्रेड बी में कर दिया गया है। श्रेयस और इशान के अलावा पांच और खिलाड़ियों को कांट्रैक्ट से बाहर किया गया है। ये हैं- चेतेश्वर पुजारा, उमेश यादव, शिखर धवन, दीपक हुडा, और युजवेंद्र चहल।

यशस्वी जायसवाल पहली बार बी ग्रेड में शामिल हुए ग्रेड ए+ में 4 खिलाड़ी; कोहली, रोहित, बुमराह और जडेजा। ग्रेड ए में 6 खिलाड़ी; अश्विन, शमी, सिराज, केएल राहुल, शुभमन गिल और हार्दिक पंड्या।

 

ग्रेड बी में 5 खिलाड़ी; सूर्यकुमार यादव, रिषभ पंत, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल, यशस्वी जायसवाल।

 

ग्रेड सी में 15 खिलाड़ी; रिंकू सिंह, तिलक वर्मा, रितुराज,

शार्दुल, शिवम दुबे, रवि बिश्नोई, जितेश शर्मा, वाशिंगटन सुंदर, मुकेश, संजू सैमसन, अर्शदीप, केएस भरत, प्रसिद्ध कृष्णा, आवेश, रजत।

 

ग्रेड ए+ में खिलाड़ियों को सालाना ₹7 करोड़, ग्रेड ए को ₹5 करोड़, बी को ₹3 करोड़, सी को एक करोड़ रु. मिलता हैं।

 

सिर्फ पैसे के लिए खेलने वालों पर अंकुश लगाना जरूरी

घरेलू क्रिकेट से उभरे युवा शुभमन गिल, ध्रुव जुरेल, यशस्वी जायसवाल, सरफराज खान व आकाशदीप ने विराट कोहली, केएल राहुल व मोहम्मद शमी जैसे सितारों की अनुपस्थिति में भी जिस तरह भारत को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज जिताई, उससे यह तो साबित हो गया कि भारतीय टीम जीत के लिए कुछ ही खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं है। जो खिलाड़ी फिटनेस का बहाना बना कर टेस्ट क्रिकेट व घरेलू क्रिकेट में नही खेल रहे और आईपीएल के लिए तैयारी कर रहे हैं, उन पर लगाम लगाने की जरूरत है। बीसीसीआई के सचिव जय शाह की चेतावनी इन खिलाड़ियों को समझ लेनी चाहिए। कप्तान रोहित शर्मा ने भी इशारा कर दिया कि टेस्ट क्रिकेट एक गंभीर किस्म की क्रिकेट है। कुछ खिलाड़ी अगर इसके महत्व को नहीं समझ रहे व जीत की भूख महसूस नही करते तो नई प्रतिभाशाली पीढ़ी उनका स्थान छीनने के लिए बैचेन है।

इशारा तो साफ है। हम जानते हैं इशान किशन ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला से अपना

नाम वापस ले लिया था और वह आईपीएल की तैयारियों में जुटे हैं। उसी तरह से श्रेयस अय्यर ने इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के दौरान पुरानी इंजरी बताकर अपने आप को अलग कर लिया, तो वह भी बीसीसीआई की नजरों से छुपा नहीं है। रणजी ट्रॉफी में भी अधिकास सितारे नहीं खेल रहे। क्या यह उनकी इज्जत के खिलाफ है? सितारे खिलाड़ी खेलेंगे तो स्थानीय क्रिकेट की प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ेगा और बेहतर खिलाड़ी निकलेंगे। क्या ही अच्छा हो अगर विराट कोहली दिल्ली की टीम से खेलें व रोहित शर्मा मुंबई से। रणजी में भी मजा आ जाएगा।

 

लीग क्रिकेट की बाढ़ से इयान चैपल व स्टीव वॉ ने भी विचलित होकर कहा था कि जल्दी बहुत सारा पैसा बनाने की होड़ में खिलाड़ी फ्रेंचाइजी क्रिकेट को प्राथमिकता देंगे व देश के लिए खेलने में कतरांएगे। क्या क्रिकेट की दुनिया इसी ओर बढ़ रही है? जिस डोमेस्टिक क्रिकेट की सीढ़ी पर चढ़कर खिलाड़ी अपना करियर बनाते हैं, उसी सीढ़ी की अनदेखी क्या उचित है?

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