हेमन्त जी ने पढ़ने के लिए मांगी किताबें। कल उन्हें यह किताबें देने जाऊंगी:- कल्पना सोरेन
हेमन्त जी ने पढ़ने के लिए मांगी किताबें। कल उन्हें यह किताबें देने जाऊंगी। इससे पहले भी हेमन्त जी ने झारखण्ड आंदोलन, मुण्डारी, हो और कुड़ुख भाषा, आदि से जुड़ी किताबें पढ़ने के लिए मंगायी थी।
हेमन्त जी को किताबें पढ़ने का हमेशा से बहुत शौक रहा है। वह घर में अपनी किताबों को बहुत प्रेम से संजों कर रखते हैं। अन्य किताबों के साथ-साथ झारखण्ड और झारखण्ड आंदोलन से जुड़ी किताबें वह हमेशा विशेष रुचि ले कर पढ़ते रहे हैं। राज्य की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने उनसे मिलने वाले सभी लोगों से ‘बुके नहीं बुक’ देने की अपील की थी। जिसके परिणामस्वरूप पिछले 4 वर्षों में उन्हें हजारों किताबें मिली।
राज्य, शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े, यही हेमन्त जी का सपना हमेसा रहा है। राज्य के हर पंचायत में आमजन के लिए लाइब्रेरी खोलने की उनकी इच्छा आज हमें कई जगह देखने को मिलती है। सरकारी स्कूलों में उत्कृष्ट पढ़ाई हो, बच्चों की छात्रवृत्ति में वृद्धि हो, गरीब परिवार की बेटियों को आर्थिक मदद मिले – उनकी पढ़ाई न छूटे, वंचित समाज के युवा भी अपने सपनों को साकार करते हुए विदेश में शिक्षा ले सकें – हेमन्त जी का यही संकल्प रहा है।
भाजपा अपने कुचक्रों से उन्हें कुछ देर तो परेशान कर सकती है – पर एक झारखण्डी योद्धा की सोच और संकल्प को वह कैसे दबा पायेगी?
राज्य में शिक्षा की जो क्रांति हेमन्त जी ने शुरू की है वह निरंतर आगे बढ़ रही है। झारखण्ड ने झुकना नहीं, सिर्फ आगे बढ़ना सीखा है।
जय जोहार!
जय झारखण्ड!
~ कल्पना मुर्मू सोरेन का झारखंड के आम जनता को संबोधन में एक लेख।