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इंडिगो एयरलाइन्स जब नामो निशान नही था, उस वक़्त किंगफ़िशर एयरलाइन्स, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट इत्यादि भारत के आसमान पर राज करते थे।

इंडिगो एयरलाइन्स जब नामो निशान नही था, उस वक़्त किंगफ़िशर एयरलाइन्स, एयर इंडिया, जेट एयरवेज, स्पाइस जेट इत्यादि भारत के आसमान पर राज करते थे।

इस उद्योग में काफी जादा कम्पटीशन हुआ करता था जिसके चलते विमान यात्रा की टिकट सस्ते में बेचनी पड़ती थी। इंडिगो एयरलाइन्स ने कैसे कम्पटीशन को मात दी और भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी बन गयी, आइये जानते हैं। केसे

इसने हमेशा खुद को ‘लौ कॉस्ट एयरलाइन’ के रूप में मार्केटिंग किया है और यह कभी भी अपनी ‘लौ कॉस्ट एयरलाइन’ स्थिति से अलग नहीं हुआ है। इस प्रकार, इंडिगो ने कभी भी फ्लाइट में मुफ्त भोजन, लॉयल्टी प्रोग्राम, लाउंज सुविधाएं और उड़ान मनोरंजन सेवा पेश नहीं किया और अपने प्रॉफिट मार्जिन को बनाए रखा।

किंगफिशर एयरलाइंस और एयर इंडिया नॉन प्रॉफिटेबल रुट्स पर काम करते थे। इस से इनके विमान कभी भी पूरी तरह नहीं भरते थे और ऊपर से यह विमान यात्रियों को मुफ्त भोजन, इन फ्लाइट एंटरटेनमेंट सेवा और बिज़नेस क्लास सेवा उपलद करते थे। इसका परिणाम यह हुआ की एयर इंडिया और किंगफ़िशर कभी मुनाफा नहीं कमा पाते थे। इंडिगो के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। इसने हमेशा लौ कॉस्ट एयरलाइन स्थिति को बनाए रखा और शुरुवात में यह सिर्फ हाई ट्रैफिक रुट्स पर काम करते थे जहाँ इनके विमान की ओवर बुकिंग हो जाती थी।

सभी एयरलाइंस ने होटलों के साथ टाई अप किया है क्योंकि हर रोज, इसे अपने कर्मचारियों के लिए रात भर रहने की व्यवस्था करनी होती है। जाहिर है कि एक पुरुष स्टाफ और एक महिला स्टाफ को अलग-अलग कमरे देने होते हैं। हालांकि, इंडिगो में केवल महिला एयर होस्टेस हैं। इस प्रकार यह रात भर रहने के लिए 3 महिला कर्मचारियों को एकल होटल का कमरा प्रदान करने का प्रबंधन कर सकता है। पैसा बच गया।

इंडिगो ने 50 एटीआर -72 एयरक्रॉफ्ट (और 250 एयरबस ए 320) का ऑर्डर दिया है। ATR72 एक छोटा विमान है जो केवल 60 – 80 यात्रियों को ले जा सकता है। यह ईंधन कुशल है, संभालने में आसान है और कम गेराज स्थान की आवश्यकता होती है। इंडिगो की योजना इन एटीआर विमानों को उन कम यातायात मार्गों पर संचालित करना है, जिन्हें एयरलाइन उद्योग के लिए गैर-लाभकारी मार्ग कहा जाता है। उदाहरण – हैदराबाद राजामुंदरी मार्ग, बैंगलोर तिरुपति मार्ग, भुवनेश्वर रांची मार्ग आदि। यह सबसे कम किराए की पेशकश करके भी बहुत लाभ कमाएगा और इस प्रकार यह अपनी घरेलू पकड़ को मजबूत करेगा और बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाएगा।

जब अन्य एयरलाइंस अपने वित्तीय तनाव से निपटने में व्यस्त हैं, इंडिगो चालाकी से पूरे देश में अपने पंख फैलाने की योजना पर काम कर रहा है।

सौ बात की एक बात, इंडिगो एयरलाइन्स जानती थी की भारत में विमान यात्रा आज भी विलासिता के रूप में देखा जाता है, यह लोगों की जरुरत नहीं है।

इसीलिए इंडिगो ने शुरू से ही सोच लिया था की हम लौ कॉस्ट एयरलाइन के बिज़नेस मॉडल पर ऑपरेट करेंगे। इनकी मार्केटिंग रणनीति यही थी, एक ऐसे उद्योग में जहाँ विमान यात्रा एक विलासिता है, वहां लोगों को सिर्फ उड़ने का मौका दो कम खर्चे में।

यही मार्केटिंग राण नीति की बदौलत आज भारत में अकेली इंडिगो ऑयलीनेस एक ऐसी एयरलाइन कंपनी है जो फायदे में है और 50% के आसपास की मार्किट शेयर इसके पास है।

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