*रंगमटिया स्थित चानकु महतो स्मारक में हूल दिवस का आयोजन*
*हूल क्रांतिवीर शहीद चानकु महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया*
*सिदो कान्हो, चानकु महतो, राजवीर सिंह, चालो जोलहा, रामा गोप, बैजल सौरेन, भागीरथ मांझी, साम परगना को भी श्रद्धांजली अर्पित किया गया*
हूल फाउंडेशन, गोड्डा द्वारा 30 जून को हूल क्रांति दिवस पर हूल दिवस का आयोजन रंगमटिया स्थित चानकु महतो के स्मारक स्थल पर किया गया। उपस्थित सदस्यों ने चानकु महतो के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और सिदो कान्हो, चानकु महतो, राजवीर सिंह, चालो जोलहा, रामा गोप, बैजल सौरेन, भागीरथ मांझी, साम परगना समेत तमाम हूल क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की । मौके पर उपस्थित फाउंडेशन के सदस्यों ने बताया कि 30 जून 1855 को चानकु महतो समेत संथाल परगना के तमाम विद्रोहियों ने सिदो मुर्मू को जंगल तराई का राजा माना और “हूल” का नारा बुलंद करते हुए अंग्रेजी शासन के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध का घोषणा कर दिया।
अंग्रेजी शासन के विरुद्ध सिदो मुर्मू के नेतृत्व में चानकु महतो, राजवीर सिंह, चालो जोलहा, रामा गोप, बैजल सौरेन, भागीरथ मांझी, साम परगणा आदि दर्जनों योद्धा की टोली अपने अपने क्षेत्र में लोगों को एकत्रित कर अंग्रेजों की गोली बारुद के जवाब में अपने तीर-धनुष, भाला-बरछा, लाठी-गुलैल जैसे पारंपरिक हथियार के साथ मारो या मरो के संकल्प के साथ युद्ध प्रारम्भ कर दिया। कान्हो मुर्मू एक विशाल समूह के साथ पूरे जंगल तराई में अलग अलग क्षेत्रों में जाकर स्थानीय क्रांतिकारियों को सहयोग करते हुए हूल हुल से पूरा जंगल तराई गुंजायमान हो गया। युद्ध में हजारों हजार स्थानीय लोग गोली बारुद का शिकार होकर जान गंवा दिये और अंग्रेजी शासन के भी छक्के छुड़े हुए थे उनको भी जान गंवाना पड़ रहा था ।
युद्ध इतना भयानक छीड़ा की उस समय भी यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया। अंग्रेजी शासन ने अंततः सैनिक शासन लगाकर हूल क्रांति का दमन किया और सभी क्रांतिकारी जो बचे थे उन्हें गिरफ्तार कर फांसी, उम्रकैद, कालापानी की सजा दे दी और क्रांति पर काबू पाया। परिणामस्वरूप स्थानीय जनमानस के असंतोष को पाटने के लिए संथाल परगना जिले का गठन कर मुख्यालय दुमका किया और एसपीटी एक्ट के रूप में स्थानीय लोगों के लिए भुमि संरक्षण का कानून लाया । हूल दिवस के मौके पर प्रमुख रूप फाउंडेशन के डायरेक्टर मैनेजमेंट किशोर कुमार महतो व बजरंग कुमार महतो, आजसू नेता दयानंद भारती, गौतम महतो, आरती देवी, फागु आर्ट, श्रवण महतो, गुड्डू महतो, फुलो मांझी, मिथुन , पीहू आदि दर्जनों लोग उपस्थित रहे।