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जीती बाजी हारीं सपा-कांग्रेस, बीजेपी ने कैसे यूपी से हिमाचल तक पलट दिया राज्यसभा का खेल

जीती बाजी हारी सपा-कांग्रेस, बीजेपी ने कैसे यूपी से हिमाचल तक पलट दिया राज्यसभा का खेल

बीजेपी हारी बाजी को कैसे पलटकर जीता जाता है इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव के नतीजों में साफ नजर आता है. बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत यूपी में समाजवादी पार्टी तो वहीं हिमाचल में कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया. बीजेपी ने दोनों ही पार्टियों के विधायकों में सेंध लगाई और इन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी को जीत दिला दी.

जीती बाजी हारीं सपा-कांग्रेस, बीजेपी ने कैसे यूपी से हिमाचल तक पलट दिया राज्यसभा का खेल

उत्तर प्रदेश, हिमाचल और कर्नाटक की 15 राज्यसभा सीटों पर मंगलवार को चुनाव हुए. बीजेपी ने चुनाव में हारी बाजी जीतने का काम किया है जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जीती हुई बाजी हार गई. विधानसभा सदस्यों के लिहाज से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास राज्यसभा में जीतने का पूरा नंबर गेम था तो यूपी में सपा के पास अपने तीसरे कैंडिडेट के जिताने का आंकड़ा भी था. इसके बावजूद बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश में हर्ष महाजन और यूपी में संजय सेठ को उम्मीदवार ही नहीं बनाया बल्कि उन्हें जीत दिलाने का काम भी किया. ऐसे में सवाल उठता है कि हिमाचल और यूपी में बीजेपी ने कैसे राज्यसभा चुनाव का गेम पलटकर सियासी बाजी अपने नाम कर लिया?

देश के 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं, जिसमें अलग-अलग 12 राज्यों की 41 सीट पर निर्विरोध सदस्य चुन लिए गए थे. कर्नाटक की 4, उत्तर प्रदेश की 10 और हिमाचल की एक राज्यसभा सीट पर मंगलवार को चुनाव हुए. कर्नाटक की 4 सीटों में से 3 सीटें कांग्रेस और एक सीट बीजेपी जीतने में कामयाब रही जबकि उत्तर प्रदेश की 10 में से 8 सीट बीजेपी और दो सीट सपा ने जीती है. हिमाचल की एक सीट बीजेपी के नाम रही. विधायकों की संख्याबल के हिसाब से सपा यूपी में तीन सीटें जीतने की स्थिति में थी तो हिमाचल में कांग्रेस के पास नंबर गेम था. ऐसे में बीजेपी ने यूपी की आठवें सीट की हारी बाजी को अपने नाम किया तो हिमाचल की इकलौती सीट अपने नाम करके कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया.

हिमाचल में जीती बाजी कांग्रेस कैसे हारी जाने

हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है और पार्टी के पास 40 विधायक हैं, जिसके चलते कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की जीत तय मानी जा रही थी. बीजेपी के पास 25 विधायक हैं जबकि राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 35 विधायकों के समर्थन चाहिए था. कांग्रेस के पास राज्यसभा सीट के जीत से 5 अतरिक्त विधायकों की वोट था जबकि बीजेपी को जीतने के लिए 10 विधायकों के अतरिक्त वोटों की जरूरत थी. ऐसे में नतीजे जब सामने आए तो मुकाबला बराबरी पर छूटा और कांग्रेस के पैरों तले से सियासी जमीन ही खिसक गई

कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. साथ ही सुक्खू सरकार के समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी के पक्ष में मतदान कर सारे खेल को ही पलट दिया. इस तरह क्रॉस-वोटिंग के बीच बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के जीत के सारे समीकरण को पलट दिया. राज्यसभा चुनाव में दोनों ही प्रत्याशियों 34-34 मत मिले. इस तरह ड्रॉ के जरिए फैसला हुआ और सियासी बीजेपी के हर्ष महाजन के नाम रही. कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि अब सरकार पर भी संकट गहरा गया है. कांग्रेस अपने विधायकों को जोड़कर नहीं रख सकी, जिसके चलते अभिषेक मनु सिंघवी को हार का मूंह देखना पड़ा है.

यूपी में कैसे सपा हार गई तीसरी सीट अखिलेश को लगा तगड़ा झटका

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीट पर चुनाव हुए, जिसमें आठ सीटें बीजेपी और सपा 2 सीटें जीतने में कामयाब रही. सूबे की 10 सीटों पर 11 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे, जिसमें बीजेपी के आठ और सपा को तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे थे. विधायकों के संख्याबल के हिसाब से उत्तर प्रदेश में बीजेपी सात और सपा तीन सीटें जीतने की स्थिति थी. इसके बावजूद बीजेपी ने अपना आठवां प्रत्याशी संजय सेठ के रूप में उतारा, जिसके बाद सपा के लिए अपनी तीसरी सीट के जीतने का गणित गड़ बड़ना शुरू हो गया.

यूपी में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों का समर्थन चाहिए था. आरएलडी के जाने के बाद सपा के पास 108 विधायक थे और दो कांग्रेस के मिलाकर 110 हो रहे थे. सपा को तीसरे कैंडिडेट को जिताने के लिए महज एक अतरिक्त वोट की जरूरत थी. आरएलडी के रहते सपा की तीनों सीटें जीतने लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन चुनाव से पहले ही जयंत चौधरी को बीजेपी ने अपने साथ मिला लिया. इस तरह आरएलडी और राजा भैया का समर्थन मिलने के बाद बीजेपी के पास 289 वोट हो रहे थे जबकि उसे अपने आठवीं सीट जीतने के लिए 396 वोटों की जरूरत थी. बीजेपी को सात अत्रकित वोट की अवश्यता थी तो सपा महज एक वोट का जुगाड़ करना था.

अखिलेश यादव अपने तीनों राज्यसभा सदस्य को जिताने के लिए हर सियासी दांव चला, जिसमें राजा भैया से भी संपर्क किया, लेकिन सफल नहीं हो सके. बीजेपी सपा के विधायकों में सेंधमारी करने में कामयाब रही. राज्यसभा चुनाव में वोटिंग से ठीक एक दिन पहले ही अखिलेश यादव इस बात को समझ गए कि उनकी पार्टी के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग का मन बना लिया है. विधानमंडल में मंगलवार को वोटिंग के दौरान सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो एक विधायक गैर हाजिर रहीं.

राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से कुछ पहले सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय ने मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिसमें मनोज कुमार पांडेय, राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य शामिल थे. वहीं, अमेठी से विधायक महाराजी देवी वोट देने ही नहीं पहुंची. अखिलेश यादव एनडीए खेमे से सुभासपा के एक विधायक का वोट अपने प्रत्याशी के पक्ष में कराने में कामयाब रहे, लेकिन उनके सात विधायकों की क्रॉस वोटिंग और एक विधायक की गैर-हाजिर होने से सारा खेल ही बिगड़ गया. इस तरह सपा अपनी जीती बाजी हार गई तो बीजेपी हारी चुनावी बाजी को अपने नाम कर लिया.

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