झारखंड सरकार ने रिजर्व बैंक से ₹1500 करोड़ का लोन मांगा?
- झारखंड सरकार पर बढ़ रहा कर्ज का बोझ, आम जनता पर पड़ सकता है असर।
- ये सरकार माईयाँ सम्मान के चक्कर में पूरे झारखंड को गर्त में धकेल देगा !
वाणिज्य कर की ऑनलाइन समीक्षा करेंगे वित्तमंत्री
वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर बुधवार की सुबह नौ बजे राज्य भर के वाणिज्य कर अधिकारियों के साथ ऑनलाइन समीक्षा बैठक करेंगे. बैठक में वाणिज्य कर सचिव, आयुक्त समेत जिलों के वाणिज्य कर अधिकारी भी शामिल होंगे. इस मौके पर वित मंत्री अब तक किये गये राजस्व संग्रहण की समीक्षा करेंगे. कई जिलों में राजस्व की वसूली बहुत कम रही है. 31 मार्च तक ज्यादा से ज्यादा राजस्व संग्रहण की कार्य योजना पर बैठक में मंथन किया जायेगा.
रांची:- झारखंड सरकार ने 1500 करोड़ रुपये के नए कर्ज की मांग की है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है। पहले से ही भारी कर्ज के दबाव में चल रही हे सरकार अब और अधिक कर्ज लेकर राज्य की वित्तीय सेहत को खतरे में डाल रही है।

Minister for Finance of Jharkhand
ब्याज दर से बढ़ेगा बोझ
सरकार को इस ऋण पर 6.92% वार्षिक ब्याज देना होगा, जिसका सीधा असर राज्य के अन्य विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं पर पड़ेगा। अगर यह धन सही तरीके से खर्च नहीं हुआ, तो जनता पर करों का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
तीन साल में चुकाना होगा कर्ज
झारखंड सरकार को यह कर्ज महज तीन साल में चुकाना होगा। पहले से ही कर्ज के दबाव में चल रहे राज्य के लिए यह बड़ी चुनौती होगी। अगर सरकार समय पर कर्ज नहीं चुका पाई, तो इससे राज्य की वित्तीय स्थिति और भी खराब हो सकती है।
क्या जनता पर बढ़ेगा करों का भार?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ते कर्ज को चुकाने के लिए सरकार को या तो करों में बढ़ोतरी करनी होगी या फिर आवश्यक सेवाओं में कटौती करनी पड़ेगी। इससे आम जनता को सीधा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
झारखंड सरकार पहले ही 11,000 करोड़ रुपये तक के कर्ज की सीमा तय कर चुकी है और अब 1500 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि सरकार की वित्तीय नीतियां सही दिशा में जा रही हैं या नहीं।
■6.92 प्रतिशत सालाना ब्याज दर देना होगा तीन साल में राज्य को चुकाना होगा कर्ज
■ एफ आर डीएम के तहत मांगा गया है ऋण
■ वित्त सचिव ने रिजर्व बैंक को भेजा है पत्र
अगर यह ऋण सही जगह इस्तेमाल नहीं किया गया, तो इसका नकारात्मक प्रभाव झारखंड की अर्थव्यवस्था और जनता पर पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस कर्ज को कैसे प्रबंधित करती है और इसे सही दिशा में उपयोग करती है या नहीं। रांची: झारखंड सरकार ने 1500 करोड़ रुपये के नए कर्ज की मांग की है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है। पहले से ही भारी कर्ज के दबाव में चल रही सरकार अब और अधिक कर्ज लेकर राज्य की वित्तीय सेहत को खतरे में डाल रही है।