सीबीआई ने रेलवे में पकड़ी रिश्वतखोरों की बड़ी गैंग
7 अफसर, 60 करोड़ घूसः पत्नी, बच्चों, व रिश्तेदारों के खातों में डलवाते थे पैसे
8 साल से एक कंपनी के टेंडर-बिल पास कर रहे थे
किशोर कुमार महतो , गोड्डा
सरकारी दफ्तरों में सब काम ‘सिस्टम’ से होता है, लेकिन रेल मंत्रालय के गुवाहाटी में तैनात कुछ अफसरों ने इसी सिस्टम की आड़ में अपना अलग सिस्टम चला रखा था। जब शिकायत सीबीआई से हुई तो जांच एजेंसी ने 13 अफसरों पर छापे मारे। इस दौरान सातों रिश्वतखोरों का पूरा चिट्ठा रजिस्टर में मिल गया। पता चला है कि डिप्टी चीफ इंजीनियर रामपाल, एक्सईएन जितेंद्र झा, बीयू लश्कर, सीनियर सेक्शन इंजीनियर रितुराज गोगोई, धीरज भगवती, मनोज सैकिया, मिथुन दास 1 मई 2016 से 30 दिसंबर 2023 तक 60 करोड़ रु. से ज्यादा घूस ले चुके हैं। इन्होंने असम की मेसर्स भारतीया इंफ्रा प्रोजेक्ट लि. (बीआईपीएल) को नॉर्दन फ्रंटियर रेलवे के जीरीबाम- इंफाल रेल प्रोजेक्ट के सभी टेंडर दिलाए और बिना जांचे बिल पास किए। रिश्वत की रकम पत्नी, बेटा- बेटी, माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों के अकाउंट में डलवाते थे। रकम कैश होती तो रिश्तेदारों को पैसा लेने भेजते। बिल में दर्ज राशि के प्रतिशत के हिसाब से घूस तय होती थी।
घूस सिस्टमः ज्यादा रिश्वत के लिए ज्यादा अमाउंट के बिल
सीबीआई के मुताबिक खाते में पैसा पहुंचने के बाद बिल बिना जांचे पास हो जाते। इस पैसे से अधिकारियों ने करोड़ों की संपत्ति भी बनाई। ज्यादा रिश्वत के लिए ये अफसर कंपनी को ज्यादा अमाउंट के फर्जी बिल लगाने को कहते थे। उन्हें पास करने की एवज में कमीशन के साथ रिश्वत लेते थे। वहीं, कंपनी ने रिश्वत देने के लिए तीन बैंक खाते खुलवाए। दो एसबीआई तो एक एचडीएफसी बैंक में था। जांच एजेंसी कंपनी के सभी बिलों को पास करने वाले आदेशों और पूर्व में जमा बिलों की भी जांच कर रही है।
फसरअ
कब-किस खाते में कितना पैसा गया?