सरफराज खान टेस्ट स्तर का अच्छा बैट्समैन है या नहीं, यह कह पाने के पर्याप्त एविडेंस नहीं हैं, लेकिन उसके कैरियर को ग्रहण लग चुका है.
आज जब भारत को मध्यक्रम में सरफराज से एक अच्छी पारी की जरूरत थी, वैसे में उसके शून्य पर आउट होने को लगभग सेलिब्रेट किया गया… खास तौर पर तब जब उसके बाद ध्रुव जुरेल ने टीम को आगे किसी हिचकी से बचा लिया. देश को एक सेलिब्रेट करने के लिए परफेक्ट हीरो और हूट करने के लिए एक परफेक्ट डमी मिल गया.
इसके पीछे उसका मुस्लिम होना कोई बड़ा कारण नहीं है. देश शमी और सिराज को सेलिब्रेट करता है. सरफराज को भी करता, अगर वह सेकुलरिज्म की बैंड बारात पर बैठ कर, विक्टिमहुड की गाड़ी चढ़ कर नहीं आता. उसको मिले अनावश्यक मीडिया हाइप ने उसे अनचाहे दुश्मन दे दिए…
सच में, कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जिनके रहते दुश्मनों की कमी महसूस नहीं होती. सरफराज के केस में मीडिया वैसा ही एक दोस्त बन गया है है.