छह हफ्ते में तीसरी दुर्घटना, 61 यात्री घायल, आठ गंभीर फिर एक ट्रेन हादसा, दो की मौत
मालगाड़ी के डिब्बे बेपटरी, दूसरी लाइन पर गिरे 120 की रफ्तार से आ रही हावड़ा-मुंबई मेल टकराई, 18 कोच उतरे
तड़के 3:39 बजे हादसाः झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मालगाड़ी बेपटरी हुई। डिब्बे दूसरी पटरी पर गिरे। इससे टकराकर यात्री ट्रेन हादसा हुआ।
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मंगलवार तड़के 3:39 बजे मुंबई-हावड़ा मेल दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें 2 यात्रियों की मौत हुई और 61 को चोटें आई हैं, जिनमें 8 गंभीर हैं। दरअसल, रायपुर से टाटानगर जा रही मालगाड़ी के 20वें डिब्बे में बड़ाबम्बो और राजखरसावां स्टेशन के बीच खराबी आ गई। इससे मालगाड़ी के डिब्बे दूसरी लाइन पर गिरे और 120 की रफ्तार से आ रही हावड़ा मुंबई मेल इससे टकराकर कर बेपटरी हो गई। इससे हावड़ा मुंबई रूट प्रभावित हुआ। नौ ट्रेनें रद्द हुईं। दक्षिण पूर्व रेलवे के जीएम अनिल मिश्रा ने बताया, हादसे की जांच चीफ रेलवे सेफ्टी कमिश्नर करेंगे। घटनास्थल से यात्रियों को मेमू ट्रेनों से चक्रधरपुर स्टेशन पहुंचाया गया। इसके बाद उन्हें टाटा-एर्नाकुलम एक्सप्रेस से मुंबई की ओर भेजा गया। हावड़ा मुंबई ट्रेन में 1540 यात्री थे।
कैसे लगे ब्रेक… हर पांच दिन में एक हादसा, न ट्रैक की सही जांच न ही नियमों का पालन हो रहा है।
फरवरी 2019 में सीमांचल एक्सप्रेस बेपटरी हुई… जांच हुई तो पता चला ट्रैक रिकॉर्ड कार (टीआरसी) से पटरी की जांच तय समय से 4 महीने बाद भी नहीं हुई। यह सिर्फ उदाहरण है। देश में औसतन हर 5 दिन में एक ट्रेन हादसा होता है। संसद की लोकलेखा समिति (2023-24) की रिपोर्ट संख्या 132 ट्रेन हादसों पर है। इसमें कहा गया है कि रेल पटरियों की जांच टीआरसी से होनी चाहिए, लेकिन रेलवे के विभिन्न जोन में इसमें गंभीर लापरवाही सामने आई है। किसी जोन में सिर्फ 70% ट्रैक की जांच हुई तो कहीं बिल्कुल नहीं हुई। कहीं, ब्लॉक न मिलने से मशीनें बेकार पड़ी रहीं और कहीं स्टाफ की कमी से। • पटरियों की गड़बड़ी अल्ट्रासॉनिक फ्लॉ डिटेक्शन सिस्टम से पता चलती है। उत्तर रेलवे में इसकी 50% और ईस्ट-कोस्ट जोन में 100% कमी है। साउथ सेंट्रल रेलवे के 2,348 किमी रूट का निरीक्षण ही नहीं हुआ।
डीआरडीओ ने चौड़ा भारी कंक्रीट स्लीपर (आरटी-8527) बनाया था। अक्टूबर 2018 में रेलवे बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी, लेकिन जहां पटरी बदली वहां इसे नहीं बिछाया गया।2017 से 2022 के बीच 890 डिरेलमेंट। इनमें 216 में हादसे का कारण पटरी खराब होना था।