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रंगमटिया में शहीद चानकू महतो के शहादत दिवस मनाया गया

युवाओं ने वीर शहीद चानकू महतो के 169वॉ शहादत दिवस मनाया |

रंगमटिया में शहीद चानकू के शहादत दिवस मनाया गया

गोड्डा जिला के रंगमटिया चौक में स्थापित वीर शहीद चानकू महतो प्रतिमा पर माला पहनाकर ग्रामीण युवाओं ने वीर शहीद चानकू महतो के 169वॉ शहादत दिवस मनाया |

युवाओं ने वीर शहीद चानकू महतो के 169वॉ शहादत दिवस मनाया |
युवाओं ने वीर शहीद चानकू महतो के 169वॉ शहादत दिवस मनाया |

आज दिनांक 15 मई 2025 को वीर शहीद चानकू महतो का 169वॉ शहादत दिवस पर युवाओं द्वारा शहीद चानकू महतो के साथ साथ झारखण्ड के तमाम वीर शहीदों को भी याद कर नमन किया और उन सभी वीर शहीदों के नारे के साथ जय जय कार किया गया | मोके पर उपस्थित दिनेश कुमार महतो ( जिला अध्यक्ष कुड़मी विकास मोर्चा गोड्डा ), दयानन्द भारती, किशोर महतो, मिथुन कुमार महतो, दिपक महतो, रमेश कुमार महतो, सोनू कुमार महतो, कुंदन कुमार महतो , सोमू कुमार, गौतम कुमार, संदीप कुमार, रंजीत महतो , अनुज कुमार महतो और ग्रामीण के लोग उपस्थित रहे |

कौन थे चानकू महतो

चानकू महतो प्राचीन राड़ प्रदेश यानी वर्तमान झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के गोड्डा जिले के रंगमटिया गांव में 9 फरवरी, 1816 को जन्मे चानकू महतो बचपन से साहसी और प्रतिभा वाले थे। पिता का नाम कारु महतो और उनकी माता का नाम बड़की महताइन था | नाना धनीराम महतो के बहुत लाडले होने की वजह से इनकी शिक्षा-दीक्षा नाना के पास बाड़ेडीह गांव में ही हुई। बीमारी से मां की असमय मृत्यु हो गई, तब चानकू अपने घर रंगमटिया में रहकर पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने लगे। अपने हुनर और प्रतिभा के कारण गांव का प्रधान बने और परगना के परगनैत भी बने |

चानकू महतो को अपने ननिहाल गांव में किया गिरफ्तार

सन् 1855 के अक्टूबर महीने में सोनार चक में जनसभा थी। उसमें चानकू शामिल हुए और लोगों को संबोधित कर रहे थे कि एक गद्दार  ने अंग्रेजी सरकार को उनकी उपस्थिति की सूचना दे दी। अंग्रेजी सेना ने तेजी से कार्रवाई करते हुए चानकू महतो को चारों तरफ से घेर लिया और युद्ध शुरू हो गया। लेकिन उनके साथी उन्हें सुरक्षित स्थान पर लेकर चले गए। अब पुलिस का गुस्सा सातवें आसमान पर था। पुलिस को किसी ने सूचित कर दिया कि चानकू महतो अपने ननिहाल बाड़ेडीह गांव में हैं। पुलिस यहां चुपके से पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजी सेना इतने गुस्से में थी कि 1856 में बाड़ेडीह महतो टोले को पूरी तरह उजाड़ दिया।

चानकू महतो संथाल विद्रोह के स्वतंत्रता सेनानी थे

चानकू महतो ने सिदो- कान्हो के नेतृत्व को मानते हुए अपने को संथाल विद्रोह के साथ जोड़ा और जगह-जगह सभा आयोजन कर अंग्रेज शासकों को ललकारने लगा। 30 जून 1855 को सिदो- कान्हो ने भोगनाडीह की सभा में अंग्रेजों और महाजनों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की थी, उस दिन चानकू महतो भी वहां उपस्थित थे । चानकू महतो संथाल विद्रोह के एक नायक और स्वतंत्रता सेनानी थे। 15 मई 1856 को गोड्डा के राज कचहरी स्थित कझिया नदी किनारे अंग्रेजों ने उन्हें सरेआम फांसी पर लटका दिया था। चानकू महतो एक प्रमुख शहीद का नाम सरकारी दस्तावेज में उपलब्ध है ।

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