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Champai Soren:- छह बार के विधायक, तीन बार के मंत्री, 10वीं तक पढ़ाई, जानें झारखंड के नए मुख्यमंत्री के बारे में और बहुत कुछ ;-

Champai Soren:- छह बार के विधायक, तीन बार के मंत्री, 10वीं तक पढ़ाई, जानें झारखंड के नए मुख्यमंत्री के बारे में

Champai Soren: चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ ले ली है। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई मुख्यमंत्री बने हैं। चंपई के साथ दो और मंत्रियों ने भी शपथ ली है। चंपई हेमंत सोरेन के करीबी बताए जाते हैं। हेमंत सरकार में चंपई कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। सरकार में झामुमो के अलावा कांग्रेस, राजद भी सहयोगी हैं। आइये जानते हैं चंपई सोरेन कैबिनेट के बारे में…

कांग्रेस से आलमगीर मंत्री बनें
चंपई सोरेन के अलावा कांग्रेस पार्टी के आलमगीर आलम ने मंत्री के रूप में शपथ ली। आलमगीर आलम पाकुड़ सीट से कांग्रेस के विधायक हैं।

70 साल के आलमगीर ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है। उन्होंने 2019 में अपनी संपत्ति ₹7.02 करोड़ बताई थी। कांग्रेस नेता ने राजनीति और समाज सेवा से होने वाली आमदनी को अपनी कमाई का जरिया बताया है।

राजद के सत्यानंद भोक्ता भी मंत्री
राजद के नेता सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली। सत्यानंद चतरा सीट से राजद के विधायक हैं। वे झारखंड सरकार में राज्य के कृषि मंत्री थे। वहीं पिछली सरकार में श्रम मंत्री थे।

53 वर्षीय सत्यानंद ने 10वीं तक ही पढ़ाई की है। उन्होंने 2019 में अपनी संपत्ति ₹77.58 लाख बताई थी। राजद नेता को राजनीति और समाज सेवा से आमदनी होती है।

कौन हैं चंपई सोरेन? 
चंपई सोरेन झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं। वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं। कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

चंपई ने 1974 में जमशेदपुर स्थित राम कृष्ण मिशन हाई स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की थी।

झारखंड टाइगर’ के नाम से चर्चित
जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही थी उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से बुलाने लगे।

1991 में चंपई पहली बार विधायक बने
चंपई संयुक्त बिहार में 1991 में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। के.सी.मार्डी के इस्तीफा के बाद चंपई ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था। फिर 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे।

वहीं 2005 में चंपई झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2009 में भी विधायक बने। उन्होंने अर्जुन मुंडा वाली सरकार में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, श्रम और आवास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वहीं जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन कैबिनेट मंत्री थे।

2014 में फिर झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं 2019 में भी विधायक बने। इसके साथ ही वह हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बन गए। 2019 में चंपई ने अपनी संपत्ति 2.55 करोड़ बताई थी।

शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया
अवैध जमीन घोटाले में फंसे हेमंत सोरेन ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा दे दिया। इस दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन ने सोरेन सरकार में परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया।

इससे पहले सोरेन परिवार के बाहर जिन नामों पर चर्चा चल रही थी उनमें हेमंत सरकार के मंत्री का नाम सबसे आगे था। इनमें परिवहन मंत्री चंपई सोरेन का नाम सबसे आगे रहा है। वह हेमंत सोरेन के सबसे खास लोगों में शामिल हैं। चंपई ने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है

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