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इन जगहों पर बजेगा युद्ध वाला साइरन प्रशासन ने की मॉक ड्रिल की तैयारी

युद्ध सायरन और मॉक ड्रिल्स सिर्फ संभावनाओं को लेकर सतर्कता बरतने का संकेत हैं | news18

इन जगहों पर बजेगा युद्ध वाला साइरन प्रशासन ने की मॉक ड्रिल की तैयारी

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब देशभर में युद्ध सायरन की तैयारी की जा रही है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे मॉक ड्रिल के ज़रिए आम जनता को युद्ध सायरन की पहचान और आपातकालीन प्रतिक्रिया की जानकारी दें।

युद्ध सायरन और मॉक ड्रिल्स सिर्फ संभावनाओं को लेकर सतर्कता बरतने का संकेत हैं | news18
युद्ध सायरन और मॉक ड्रिल्स सिर्फ संभावनाओं को लेकर सतर्कता बरतने का संकेत हैं | news18

 

इस तरह की तैयारी न सिर्फ युद्ध के संभावित हालात में जान बचा सकती है, बल्कि लोगों में घबराहट भी कम करती है।

क्या है युद्ध सायरन का मकसद?

युद्ध के दौरान एक तेज़ आवाज़ वाला सायरन बजाया जाता है ताकि आम लोग समझ सकें कि खतरा आस-पास है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य होते हैं:-

  • हवाई हमले की चेतावनी देना
  • ब्लैकआउट एक्सरसाइज करना
  • सिविल डिफेंस की तैयारियों की जांच करना
  • रेडियो और एयरफोर्स नेटवर्क को एक्टिव करना
  • कंट्रोल रूम से युद्ध मोड में तालमेल करना

देशभर में इन राज्यों में बजेगी साइरन

गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद अब राज्यों में मॉक ड्रिल और युद्ध सायरन बजाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है:

  • मुंबई के दादर स्थित एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल में युद्ध सायरन बजाया गया
  • श्रीनगर की डल झील के पास भी मॉक ड्रिल की गई
  • गुजरात समेत कई राज्यों में 7 मई को युद्ध अभ्यास की योजना
  • राज्य सरकारें लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में विशेष कार्यक्रम चला रही हैं

युद्ध सायरन को कैसे पहचानें

युद्ध के समय बजने वाला सायरन एक आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज़ से बिल्कुल अलग होता है। इसकी विशेषताएं इस तरह होती हैं:

  • यह 120 से 140 डेसिबल की तेज़ आवाज़ में बजता है
  • 2 से 5 किलोमीटर दूर तक यह आवाज़ सुनाई देती है
  • इसका स्वर एक ही लय में बहुत तेज़ और तीखा होता है
  • यह सामान्य आपदा अलर्ट या एंबुलेंस की आवाज़ से अलग होता है

इसका उद्देश्य होता है लोगों को तत्काल सतर्क करना |

अगर युद्ध सायरन बजे तो क्या करना चाहिए

अगर युद्ध सायरन बजे तो सबसे पहले घबराने की नहीं, बल्कि सतर्क और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत होती है। गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सायरन सुनते ही तुरंत खुले स्थानों से हटकर किसी सुरक्षित स्थान की ओर जाना चाहिए और संभव हो तो 5 से 10 मिनट के भीतर सुरक्षित लोकेशन पर पहुंच जाना चाहिए। इस दौरान किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और उन्हें न फैलाएं। टीवी और रेडियो पर आने वाले सरकारी निर्देशों को ध्यान से सुनना ज़रूरी है क्योंकि यही जानकारी आपको आगे की कार्रवाई में मदद करेगी। यदि आप किसी इमारत में हैं, तो बिल्डिंग के बेसमेंट या किसी सुरक्षित शेल्टर में शरण लें। साथ ही बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए पहले उन्हें सुरक्षित करें। युद्ध या हवाई हमले की स्थिति में सार्वजनिक परिवहन बंद हो सकता है, इसलिए ज़रूरत न हो तो स्वयं वाहन चलाने से बचें और धैर्य बनाए रखें। ऐसी परिस्थितियों में शांति और जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव होता है।

क्यों ज़रूरी है युद्ध सायरन की जानकारी

कई बार जब कोई आपात स्थिति आती है तो लोग समझ ही नहीं पाते कि ये सायरन किसलिए बज रहा है। इसी भ्रम को दूर करने के लिए युद्ध सायरन की पहचान करवाना ज़रूरी है। इससे

  • आम लोग तेज़ी से प्रतिक्रिया दे सकते हैं
  • अफरा-तफरी और भय का माहौल नहीं बनता
  • सरकारी एजेंसियों और नागरिकों के बीच सहयोग बढ़ता है
  • जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है

युद्ध की आशंका में शांति की तैयारी

हालांकि अभी युद्ध की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन तैयारी शांति बनाए रखने के लिए होती है। युद्ध सायरन और मॉक ड्रिल्स सिर्फ संभावनाओं को लेकर सतर्कता बरतने का संकेत हैं। ऐसे में आम जनता की ज़िम्मेदारी है कि वे इन अभ्यासों को गंभीरता से लें और खुद को, अपने परिवार को सुरक्षित रखने की तैयारी करें।

 

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