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झारखंड में संविधान और संविधान रचियता का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण : संजीव महतो

AJSU नेता संजीव कुमार महतो और ठाकुर शिवेंद्र सिंह।
झारखंड में संविधान और संविधान रचियता का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण : संजीव महतो

 

  • संविधान से ऊपर सरियत कहना अपराध , मंत्री पद से स्तिफा दें और माफी मांगे मंत्री
  • बाबा साहब के नवनिर्मित स्मारक गोड्डा में जयंती पर रोक व 144 लगाना गलत।

बाबा साहेब अंबेडकर जी के जयंती पर सिविल सर्जन गोड्डा (पुराना डीआरडीए भवन) में स्थापित डाॅ अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। भारतीय लोकतंत्र जो लगातार फलफूल रहा ये हमारे खुबसूरत संविधान की दैन है जो हमें बाबा साहब के ही दूर दृष्टि युक्त ज्ञान से प्राप्त हुआ है यह संविधान हमारे स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ग्रंथ हैं। इसे रचने वाले बाबा साहब को आज उनकी जयंती पर नमन है।

AJSU नेता संजीव कुमार महतो और ठाकुर शिवेंद्र सिंह।
AJSU नेता संजीव कुमार महतो और ठाकुर शिवेंद्र सिंह।

एक तरफ पुरा देश बाबा साहब के जयंती पर इन्हें याद कर रहे हैं इनके अगुवाई में बने संविधान की चर्चा कर रहे हैं वहीं झारखंड सरकार में शामिल केबिनेट मंत्री हफीजुल अंसारी द्वारा संविधान से ऊपर सरियत को मानने संबंधित व्यान दिया जाना जगन्य अपराध है। उनके ऐसे व्यान से साफ प्रतित होता है कि उनके नजर में उनके धार्मिक ग्रंथ के समक्ष संविधान की कोई अहमियत नहीं है । इन्होंने संवैधानिक पद पर रहते हुए संविधान के मर्यादा को ठेस पहुंचाने का काम किया है। भारतीय लोकतंत्र में संविधान से बड़ा कुछ नहीं है और इनका व्यान राष्ट्रद्रोह वाला है और आम लोगों को भड़काने वाला है जो भारतीय दंड संहिता के अनुसार दंडनीय है।इसलिए झारखंड सरकार के अगुआ हेमंत सोरेन जी को तत्काल इसे संज्ञान में लेकर मंत्री को तुरंत बरखास्त करना चाहिए और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने का निर्देश जारी करना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो ये समझा जायेगा कि मंत्री के इस कुकृत्य में झारखंड सरकार का समर्थन है।

झारखंड सरकार के मंत्री संविधान के प्रति ओछी व अपराधिक व्यान बाजी तो कर ही रहे हैं साथ ही झारखंड सरकार के अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप कर गोड्डा के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व से निर्धारित कार्यक्रम जो नवनिर्मित अंबेडकर स्मारक पर बाबा साहब अंबेडकर के जयंती पर होना था उसे ऐनकेन प्रकारेण पुलिस और कानून का दूरुपयोग कर रोका गया । प्रशासन को अगर अभी जयंती के समय ये लगा कि स्मारक गलत जगह बना है तो जब बन रहा था उस समय प्रशासन ने क्यों नहीं रोका और जयंती के दिन अचानक लोगों को आने से क्यों रोका गया।

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झारखंड सरकार के सागिर्दों द्वारा वर्चस्व की लड़ाई का आखाड़ा बनाकर अंबेडकर जयंती को प्रभावित करने का काम किया गया और प्रसाशन ने भी अम्बेडकर स्मारक की मान सम्मान को दरकिनार कर खुद को सरकार के समर्थकों के अंदर खाने के विवाद से खुद को बचाने के लिए कार्यक्रम को ही स्थगित करवा दिया। उपरोक्त दोनों घटनाओं से देश का संविधान और देश के महापुरुषों की गरिमा दोनों आहत हुई है और आजसू पार्टी व गोड्डा की आम जनता क्षुब्ध है जरुरत पड़ी तो हम न्यायालय के भी शरण में जायेंगे लेकिन अन्याय वर्दास्त नहीं करेंगे।

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