संयुक्त राष्ट्र से आग्रह है कि एक ग्राउंड रिपोर्टAppeal to The United Nation दुनिया के सामने लायें कि वर्तमान परिदृश्य में बंगलादेश के इथेनिक माइनोरिटीज समुदाय एवं हिंदु समुदाय कैसे हैं? Sanjeev Mahto
भारत सरकार बंगलादेश के आदिवासियों और हिन्दुओं के सुरक्षा उपाय पर पहल करे।
झारखंड सरकार यहां के माइग्रेटेड आदिवासी जो बंगलादेश में हैं उनके लिए विशेष उपाय करे।
आजादी बाद भारत बंटवारा से बंगलादेश भले ही अभी भारत की सीमा से बाहर है लेकिन बंटवारा पूर्व एकीकृत बंगाल होने के कारण झारखंड के आदिवासियों मुलवासियों का निर्वासन, आवागमन और विचरण का क्षेत्र रहा था। अगर देखा जाय तो झारखंडी मुल की बहुत बड़ी आबादी आज भी बंगलादेश में निवासरत हैं। बंगलादेश में अब वहां इन्हें इथेनिक माइनोरिटी की श्रेणी में रखा गया है। बंगलादेश के गत सेंशस 2022 के रिपोर्ट के अनुसार इथेनिक माइनोरिटी ट्राइब की आबादी 16 लाख 50 हजार 159 है। कुल 50 समुदाय में इन्हें चिन्हित रखा गया है इसके अलावा अल्प आबादी वाले समुदाय को अन्य कहकर दर्ज किया है जो कुल इथेनिक माइनोरिटीज आबादी 1650159 में से 68538 की संख्या में हैं।
बंगलादेश में निवासरत आदिवासियों में उपरोक्त 50 समुदाय में से खरवार, संथाल, कोल, कुड़मि (कुरमी महतो) , कोड़ा, खोंड, मुंडा , उरांव, बेदिया, भुमिज, खरिया, लोहार , मोहली, रजवार, तेली, तुरी आदि अधिकतर समुदाय और अधिकतर आबादी झारखंडी मुल के हैं। बंगलादेश के इथेनिक माइनोरिटी में से 17 सीनो – तिब्बतियन समुदाय को छोड़कर लगभग बांकी समुदाय झारखंड बिहार, पश्चिम बंगाल मुल के हैं लेकिन अधिकांश झारखंड के आदिवासी मुल के ही हैं।
यूं तो बंगलादेश की पूरी आबादी भारत से ही ताल्लुक रखती है लेकिन पूरी आबादी और वहां के इथेनिक माइनोरिटी ट्राइब आबादी भी सभी विभाजन पूर्व भारतीय ही थे। लेकिन झारखंड के आदिवासी जो विभाजन में बंगलादेश में रह गये ये तमाम इथेनिक माइनोरिटी ट्राइब समुदाय के लोग का आज भी झारखंड के अपने भाई गोतिया रिस्तेदारों से गहरा जुड़ाव है। रोटी बेटी का संबंध पूर्वरत चल रहा है और उन्हें झारखंडी लोग अपना अंग मानते हैं। शादी विवाह श्राद्ध आदि पारिवारिक आयोजनों में आना जाना बना रहता है। आदिवासियों का सभ्यता क्योंकि कबिलावासी जीवन से वर्तमान स्तित्व तक आया है और ये अपना भाषा संस्कृति संस्कार स्वशासन से आज भी जुड़े जीवन के आदि हैं , इसलिए ये अपने कबिला का केंद्र रहे छोटानागपुर पठारी भू भाग यानि वर्तमान झारखंड और पूरे बृहद झारखंड को आज भी अपना स्तित्व का आधार भुमि के रूप में मानते हैं और जुड़ाव बनाये रखे हैं।
बंगलादेश में उत्पन्न स्थिति में वहां वासरत अपने आदिवासी सगा संबंधियों के साथ अन्याय ना हो इसकी चिंता झारखंड और यहां के आदिवासियों को है । इसलिए झारखंड सरकार और भारत सरकार से आग्रह है कि बंगलादेश के इथेनिक माइनोरिटी ट्राइब समुदाय के सदस्यों के उपर भी अन्याय ना हो इसके उपाय किए जायें। वहीं झारखंड सरकार को इसके लिए विशेष पहल करते हुए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करना चाहिए जो कि केंद्र सरकार से तालमेल स्थापित कर माइग्रेटेड झारखंडी समुदाय के लोगों पर विशेष ध्यान रखा जा सके और वो बेसहारा महसूस ना करें भयमुक्त हों।