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RJD ने 120 विधायकों का किया जुगाड़! भंग होगी बिहार विधानसभा या बनेगी नई सरकार, जानें नीतीश की गद्दी कैसे बचेगी:-

Bihar Political Crisis: बिहार में जिस तरह का सियासी घमासान मचा है, इसमें अब दो तरह की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। क्या नीतीश कुमार असेंबली भंग कर लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव कराएंगे या भाजपा के साथ नई सरकार का गठन होगा? अगले 48 घंटे बिहार के लिए बिहार की सियासत के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

हाइलाइट्स

  • आरजेडी से नीतीश की नाराजगी क्या गुल खिलाएगी
  • क्या सीएम नीतीश कुमार असेंबली भंग करने वाले हैं
  • एनडीए की सरकार बनी तो किसे मिलेगी सीएम की कुर्सी
  • नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री बनाने का भाजपा का प्रस्ताव

पटनाः बिहार में आरजेडी और जेडीयू के बीच तनातनी बढ़ गई है। बिहार की राजनीति में रुचि रखने वाली लालू यादव की बटी रोहिणी आचार्य के मैसेज डालने और हटाने से मामले ने तूल पकड़ लिया है। देर रात तक सीएम और राबड़ी देवी के आवास पर गहमागहमी जारी रही। नीतीश को मनाने के लिए लालू ने उन्हें फोन भी किया। पर, नीतीश का गुस्सा सातवें आसमान पर है। अब इतना तो तय है कि बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक परिवर्तन जरूर होगा। पर, अब भी यह सस्पेंस बरकरार है, कि परिवर्तन किस तरह का होगा?

नीतीश कुमार का भाजपा के साथ जाना तय:-

नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने भी अब RJD से अलग होने का पक्का मन बना लिया है। अलग होने पर उसके भाजपा के साथ जाने की संभावनाएं भी प्रबल हैं। इसलिए कि जितनी सरगर्मी आरजेडी और जेडीयू खेमे में है, उतनी ही बेचौनी भाजपा में है। गुरुवार को दिन से शुरू हुआ राजनीतिक ड्रामा देर रात तक चला। पटना से लेकर दिल्ली तक बैठकों का सिलसिला जारी रहा। बीजेपी के रष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बिहार के भाजपा नेता कभी अलग-अलग तो कभी एक साथ बैठते रहे। पटना में सीएम और पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर बैठक जुटते- बैठते रहे। सभी आगे की रणनीति बनाने में मशगूल रहे।

राहुल गांधी ने न्याय यात्रा रोक कर दिल्ली दौड़े:-

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी अचानक पश्चिम बंगाल के कूच बिहार पहुंचते ही रोक दी गई। सोनिया गांधी ने उन्हें तुरंत दिल्ली लौटने का निर्देश दिया। देर रात वे दिल्ली लौट भी गए। कांग्रेस को भी राजनीतिक समीकरण में अचानक उठे बवंडर से चिंता होने लगी है। इसलिए कि विपक्षी दलों के बने इंडी अलायंस का नेतृत्व कांग्रेस ही कर रही है। अलायंस में खटपट की आहट नीतीश के संयोजक पद ठुकराए जाने से भी सुनाई दे रही थी। अब तो इसका ढोल भी बजने लगा है। कांग्रेस नेता आज इस पर मंथन करेंगे। कांग्रेस की चिंता इसलिए भी है कि बहार की महागठबंधन सरकार में वह भी पार्टनर है।

बदले हालात में क्या-क्या संभावनाएं दिख रहीं हैं:-

बिहार में इस सियासी घमासान की परिणति क्या होगी, अब इसे लेकर सबकी चिंता बढ़ गई है। भाजपा ने राम मंदिर के नाम पर जिस तरह देश भर के हिन्दुओं में एक नई लहर पैदा की है, उससे विपक्षी गठबंधन की चिंता स्वाभाविक है। सिर्फ अल्पसंख्यक वोटों के जरिए नैया पार होनी मुश्किल है। नीतीश की राह अगर इंडी अलायंस से अलग होती है तो इसका कितना और कैसा प्रभाव होगा, कांग्रेस का मंथन इसी पर होना है। बिहार में नीतीश के अलग होने पर समीकरण का अंदाजा तो सभी को है, पर यह किस रूप में सामने आएगा, असल मंथन इसे लेकर ही होना है।

असेंबली भंग होगी या बिहार में नई सरकार बनेगी:-

नीतीश के बिदकने से बिहार में दो संभावनाएं दिखती हैं। पहला यह कि नीतीश कुमार असेंबली भंग कर दें और लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाए। दूसरी संभावना यह है कि विधानसभा की बाकी बची अवधि के लिए भाजपा के साथ नीतीश कुमार सरकार बनाएं और कार्यकाल पूरा करें। शायद यही वजह है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कल दिन से रात तक दो बार नीतीश कुमार को मनाने के लिए फोन किया। सूचना तो यह भी है कि लालू ने उन्हें बाहर से समर्थन देने का भी प्रस्ताव दिया, ताकि विधानसभा भंग करने की नौबत न आए।

भाजपा नीतीश को सीएम बनाने को तैयार नहीं:-

भाजपा के एक भरोसेमंद सूत्र ने बताया कि पार्टी नीतीश कुमार के साथ और उन्हें समर्थन देने को तो पहले से ही तैयार है, लेकिन सीएम बनाए रखने पर सहमत नहीं है। ऐसा करने पर उसे अपने कोर वोटरों में कन्फ्यूजन पैदा होने का खतरा है। बस यही एक बिंदु है, जिसकी वजह से घोषणा होने में विलंब हो रहा है। भाजपा का प्रस्ताव है कि नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री पद स्वीकार कर लें और बिहार में भाजपा के सीएम को समर्थन दें। भाजपा और जेडीयू के बीच मंथन की मूल वजह यही है। भाजपा का दूसरा प्रस्ताव है कि नीतीश कुमार असेंबली भंग कर चुनाव का मार्ग साफ प्रशस्त करें और भाजपा-जेडीयू मिल कर लोकसबा और विधानसभा का चुनाव लड़ें। अब नीतीश को भाजपा के इन दोनों प्रस्तावों में किसी एक का चयन करना है।

नीतीश दे चुके हैं राज्य हित में फैसले का संकेत:-

नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि वे कोई भी फैसला राज्य हित में लेंगे। बिहार के लिए उनकी दो ही दीर्घकालिक मांगें रही हैं। पहला यह कि समाजवादी नेता और बिहार के भूतपूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाए, जिसे भाजपा ने उनकी सौंवीं जयंती की पूर्व संध्या पर पूरी कर दी है। दूसरी मांग बिहार को विशेष दर्जा देने की रही है। भाजपा इसके लिए बिहार को बड़ा पैकेज देने को तैयार है। संभवतः प्रधानमंत्री अपनी बहार यात्रा में इसकी गोषणा भी कर सकते हैं। जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार को इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने दे दी है। इस बार पीएम के बिहार दौरे में नीतीश बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे और मंच भी साझा करेंगे।

बिहार के लिए अगले 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं:-

बिहार के लिए अगले 48 घंटे काफी महत्वपूर्ण हैं। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद नीतीश कुमार अपने निर्णय की घोषणा कर सकते हैं। इस बीच भाजपा से चल रही उनकी बात भी किसी नतीजे पर पहुंच सकती है। उन्हें इस बात का भी भय है कि ज्यादा विलंब करने पर आरजेडी उनके विधायकों को तोड़ सकता है। अभी तक आरजेडी ने जोड़-तोड़ से 120 विधायकों का बंदोबस्त कर लिया है, जिसमें एआईएमआईएम का एक, निर्दलीय एक और जीतन राम मांझी की पार्टी हम (से) के चार विधायकों पर आरजेडी की नजर है। इस तरह उसके पास 120 विधायक होते हैं। फिर भी दो की कमी हो रही है। विधानसबा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी आरजेडी कोटे के हैं। उनसे भी लालू ने बातचीत की है। यही वजह है कि नीतीश अब अधिक इंतजार करने की स्थिति में नहीं हैं।

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